शादी है, रहेगा सदा समाज का प्रचलित रिवाज, बिन फ़ेरे अब सब तेरे सुंदर सा ये चलन है आ शादी है, रहेगा सदा समाज का प्रचलित रिवाज, बिन फ़ेरे अब सब तेरे सुंदर सा...
क्यों मूर्ख अध्यापक होते हैं बच्चों की पीड़ा क्यों न समझ पाते हैं। क्यों मूर्ख अध्यापक होते हैं बच्चों की पीड़ा क्यों न समझ पाते हैं।
सिंदूर न सही, मेरे नाम का टीका तुम भी लगाओ न। सिंदूर न सही, मेरे नाम का टीका तुम भी लगाओ न।
कन्या कहकर पूजें जिसको अजन्मी का करें संहार शर्म लिहाज़ रिवाज़ के परदे में खो गया कन्या कहकर पूजें जिसको अजन्मी का करें संहार शर्म लिहाज़ रिवाज़ के परदे...
याद आते हैं वो दिन बेफिक्री के, जब ना सोच थी, ना समझ और ना अक्ल यारो। अब लगता है क्यों हो गये हम सम... याद आते हैं वो दिन बेफिक्री के, जब ना सोच थी, ना समझ और ना अक्ल यारो। अब लगता ह...
हाथ सुर्ख खून में फिर भी सफेदपोश है, ज़बान के मीठे है सियासत से भरे लोग........ हाथ सुर्ख खून में फिर भी सफेदपोश है, ज़बान के मीठे है सियासत से भरे लोग........